पहेली: खोई हुई धरोहर
कहानी:
एक छोटे से गांव में एक प्राचीन खजाना छिपा हुआ है। इस खजाने की रक्षा एक बुद्धिमान बुजुर्ग ने की है। खजाना प्राप्त करने के लिए एक पहेली हल करनी होगी। यदि आप सही उत्तर देते हैं, तो आपको खजाना मिलेगा।
पहेली:
- आंखों से नहीं देखो, पर हर जगह हूँ।
- बोलता नहीं, पर सबको बताता हूँ।
- पलकों पर खूबसूरत सपने बुनता हूँ।
- दिए बिना भी रौशनी लाता हूँ।
- बंद होने पर मैं बड़ा हूँ, खुलने पर छोटा।
आपको यह पता लगाना है कि यह कौन सी चीज़ है?
उत्तर:
यह “सोच” है।
व्याख्या:
- सोच को आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन यह हमारे चारों ओर होती है।
- सोच बोलती नहीं, लेकिन हमारे विचारों और भावनाओं को स्पष्ट करती है।
- सोचना हमें सपनों और कल्पनाओं की दुनिया में ले जाता है।
- बिना किसी भौतिक वस्तु के भी सोच हमें नए विचारों की रौशनी देती है।
- जब सोच को नियंत्रित किया जाए, तो यह बड़ी हो जाती है; पर विचारों को व्यक्त करने पर वह संक्षिप्त हो सकती है।
इस पहेली को सफलतापूर्वक हल करने पर, आप गांव के खजाने तक पहुँचने के योग्य होंगे।